आज मैं तनहा हूँ.......
आज मैं तनहा हूँ
फिर भी मैं खुश हूँ
खामोशी है घर मैं
शोर मचा है बाहर
बाहर दुनिया व्यस्त है
अन्दर मैं भी व्यस्त हूँ
फर्क है इतना सा
मुछ्में और उनमें,
बाहर सब साथ में
अन्दर कोई न साथ में
फिर कैसे मैं व्यस्त हूँ
सोचने की तो बात है
मैं व्यस्त हूँ सपनो में
खोयी हूँ ख्यालों में
जब भी हूँ मैं तनहा
रहता है मन हल्का
उडती हूँ मैं पंख लिए
लौटती हूँ मैं हाथ लिए
रंगीन सपने साथ लिए
जितने रंग हैं बाहर
ज्यादा रंग है अन्दर
बाहर है सब फीका
अन्दर है सब रंगीन
झूमे मेरा मन ख़ुशी से
दूर जो हूँ मैं ख़ामोशी से
आज तो मैं खुश हूँ
फिर भी मैं तनहा हूँ.....
happy but lonely..nice
ReplyDeleteरंजिनी,
ReplyDeleteमलयालम कविता की अपेक्षा आपको हिंदी ही अच्छी है। वे बिलकुल सुंदर कविताएँ हैं। खासकर आज मैं तनहा हूँ..शीर्षक कविता।
बधाइयाँ व शुभकामनाएँ
रतीष निराला
bahuth dhanyawad :)
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